बच्चों का आकाश

Saturday, May 21, 2016

आइसक्रीम के दिन
















सूरज दादा हैं नाराज
फैलाई धरती पर आग
बडों बडों को भी झुलसाया
हम बच्चों को भी डरवाया
आसमान से बरसे अंगारे
ताल तलैया सूखे सारे
बंद हुए हम घर के अन्दर
टीवी के बस हुए सिकन्दर
वर्षा की बूदें अब आओ
कैद से अब आजाद कराओ
मन करता है भरें फर्राटे
शैतानी में कोई न डांटे
खायें आइसक्रीम, रसगुल्ले
गरमी में अब हिप हिप हुर्रे

-कुशवंश

Friday, May 13, 2016

आ गई गर्मी हो गई छुट्टी

















आ गई गर्मी की छुट्टी
पढ़ने से अब हो गई कुट्टी ,
बस्ते मे बंद किताबे सारी
अब सैर की करो तैयारी,
पापा अब प्रोमिस निभाओ
शिमला की अब सैर कराओ,
चले मनाली , कुफ़री कुल्लू
नैनीताल गया है बिल्लू,
मम्मी जल्दी टिकट कटाओ
हवाई जहाज को बुक करवाओ,
आसमान मे उड़ना है
बादलों से जुड़ना है,
ऐवरेस्ट की चोटी छूकर
बनना और सवरना है,
नानी के घर भी जाना है
नानू को बहुत छकाना है,
मामा-मामी की पीठ पे चढकर
भालू डांस कराना है ,
दादा जी का चसमा तोड़ूँ
दादी जी की मटकी फोड़ूँ,
चाचू की गुम सिट्टी- पिट्टी
आ गई गर्मी हो गई छुट्टी ॰

-कुशवंश

 

Tuesday, May 10, 2016

सारे दिन मम्मी के होते




हॅप्पी हॅप्पी मदर डे
मुझे समझ नहीं आता
मॉम का होता सारा दिन
मुझको बस इतना भाता
उठते ही बस मम्मी मम्मी
कभी गाल मे , कभी भाल मे
बस सारा दिन चुम्मी चुम्मी
कभी मॉम के पीछे छिपकर
दीदी को बहलाता हू
कभी , किचिन मे फ्रिज के पीछे
भैया से बच पाता हूँ
मम्मी बस , आँखों मे रहतीं
नहीं कभी होती ओझल
अगर एक पल देख न पाऊँ
मन हो जाता है बोझल
सारे दिन मम्मी के होते
एक नहीं होता  है डे
सुबह शाम बस हॅप्पी हॅप्पी
सारे दिन बस मदर्स डे
मम्मी दिन और मम्मी रात
मम्मी है प्यारी सौगात
मम्मी से सारा जहांन है
मम्मी से प्यारी बरसात
सारे  दिन मम्मी के होते
नहीं एक दिन की है बात

-कुशवंश



Wednesday, April 27, 2016

आई है गर्मी की धूम




आई है गर्मी की धूम
सूरज को भी चढा जुनून

टप टप टप टप बहे पसीना
हम बच्चों का मुशकिल जीना

बंद हुये सारे स्कूल
पढ़ना लिखना जाओ भूल




घर के अंदर घुसे रहो बस
चटक धूप से हुये विवस

बादल दादा जल्दी आओ
आकार अपना रंग दिखाओ

ठंडी ठंडी  बूंदे लाओ
झरने सा पानी बरसाओ

पेट दर्द है हुआ बुखार
पिन्की भी है बहुत बीमार

गर्मी का मौसम बेईमान
मुसकिल मे बच्चों की जान

आइसक्रीम भी कितनी खाये
कैसे पापा को समझाये

गर्मी रानी दुम दबाओ
वर्षा की हरियाली लाओ

-कुशवंश



Monday, February 29, 2016

मम्मी नहीं जाना स्कूल



















मम्मी नहीं जाना स्कूल
मुझको मत कपड़े पहनाओ
बालों मे न बांधो फूल
नासता भी तैयार करो मत
हमको नहीं जाना स्कूल
रिक्से के पीछे
लटके लटके
डर लगता है झटके से
अंदर बैठूँ तो पिच जाऊ
खड़ी रहूँ तो लटके झटके
टीचर जी  बस डांट पिलातीं
सर जी छूते इधर उधर
वाशरूम भी साफ नहीं है
जाऊ तो मैं जाऊ किधर
आया दिनभर मुह बिचकाती
भैया गाते गाना
बच्चे चोटी खीच डालते
चट कर जाते खाना
मैं तो घर मे ही पढ़ लूँगी
तुम ही मुझे पढ़ाओ
गंदे संदे स्कूलों से
छुट्टी मुझे दिलाओ

- कुशवंश